This beautiful song describes the childhood of Sree rama
ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..
किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय .
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ..
अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि .
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ..
विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर .
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ..
तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद .
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ..
>
Sunday, February 06, 2011
Subscribe to:
Posts (Atom)